Ranked #1
अवनी पर आकाश गा रहा (अष्टावक्र : महागीता - 74)
अवनी पर आकाश गा रहा (अष्टावक्र : महागीता - 74)
अवनी पर आकाश गा रहा (अष्टावक्र : महागीता - 74)
23 Mar 2022
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1hr 41mins
Ranked #2
मूढ़ कौन, अमूढ़ कौन ? (अष्टावक्र : महागीता - 73)
मूढ़ कौन, अमूढ़ कौन ? (अष्टावक्र : महागीता - 73)
अष्टावक्र उवाच। अकुर्वन्नपि संक्षोभात् व्यग्रः सर्वत्र मूढ़धी। कुर्वन्नपि तु कृत्यानि कुशलो हि निराकुलः।। 234।। सुखमास्त... Read more
22 Mar 2022
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2hr 7mins
Ranked #3
सद्गुरुओं के अनूठे ढंग (अष्टावक्र : महागीता - 72)
सद्गुरुओं के अनूठे ढंग (अष्टावक्र : महागीता - 72)
सद्गुरुओं के अनूठे ढंग (अष्टावक्र : महागीता - 72)
21 Mar 2022
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2hr 20mins
Ranked #4
निराकार, निरामय साक्षित्व (अष्टावक्र : महागीता - 71)
निराकार, निरामय साक्षित्व (अष्टावक्र : महागीता - 71)
अष्टावक्र उवाच। अकर्तृत्वमभोक्तृत्वं वात्मनो मन्यते यदा। तदा क्षीणा भवंत्येव समस्ताश्चित्तवृत्तयः।। 227।। उच्छृंखलाप्यकृ... Read more
20 Mar 2022
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2hr 22mins
Ranked #5
दिल का देवालय साफ करो (अष्टावक्र : महागीता - 70)
दिल का देवालय साफ करो (अष्टावक्र : महागीता - 70)
दिल का देवालय साफ करो (अष्टावक्र : महागीता - 70)
19 Mar 2022
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1hr 55mins
Ranked #6
स्वातंत्र्यात् परमं पदम् (अष्टावक्र : महागीता - 69)
स्वातंत्र्यात् परमं पदम् (अष्टावक्र : महागीता - 69)
विषयद्वीपिनो वीक्ष्य चकिताः शरणार्थिनः। विशंति झटिति क्रोडं निरोधैकाग्र्यसिद्धये।। 221।। निर्वासनं हरिं दृष्ट्वा तूष्ण... Read more
18 Mar 2022
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2hr 34mins
Ranked #7
मन तो मौसम-सा चंचल (अष्टावक्र : महागीता - 68)
मन तो मौसम-सा चंचल (अष्टावक्र : महागीता - 68)
मन तो मौसम-सा चंचल (अष्टावक्र : महागीता - 68)
17 Mar 2022
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2hr 18mins
Ranked #8
दृश्य से द्रष्टा में छलांग (अष्टावक्र : महागीता - 67)
दृश्य से द्रष्टा में छलांग (अष्टावक्र : महागीता - 67)
क्वात्मनो दर्शनं तस्य यद्दृष्टमवलंबते। धीरास्तं तं न पश्यंति पश्यंत्यात्मानमव्ययम्।। 216।। क्व निरोधो विम़ूढस्य यो निर्... Read more
16 Mar 2022
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2hr 7mins
Ranked #9
अपनी बानी प्रेम की बानी (अष्टावक्र : महागीता - 66)
अपनी बानी प्रेम की बानी (अष्टावक्र : महागीता - 66)
अपनी बानी प्रेम की बानी (अष्टावक्र : महागीता - 66)
15 Mar 2022
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2hr 6mins
Ranked #10
जानो और जागो ! (अष्टावक्र : महागीता - 65)
जानो और जागो ! (अष्टावक्र : महागीता - 65)
अप्रयत्नात् प्रयत्नाद्वा मूढ़ो नाप्नोति निर्वृतिम्। तत्वनिश्चयमात्रेण प्राज्ञो भवति निर्वृतः।। 210।। शुद्धं बुद्धं प्रि... Read more
14 Mar 2022
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1hr 52mins